पर्यावरण प्रदूषण : समस्या और समाधान पर निबंध|Paryavaran Pradushan Samasya Aur Samadhan Par Nibandh

सम्बद्ध शीर्षक:-

• पर्यावरण और प्रदूषण

• बढ़ता प्रदूषण और पर्यावरण

• पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व

• पर्यावरण का महत्त्व

• प्रदूषण के दुष्परिणाम

• असन्तुलित पर्यावरण प्राकृतिक आपदाओं का कारण

• विश्व परिदृश्य में पर्यावरण प्रदूषण

• धरती की रक्षा पर्यावरण सुरक्षा

• पर्यावरण प्रदूषण कारण और निवारण 

• पर्यावरण- असन्तुलन


प्रमुख विचार बिन्दु- 1. प्रस्तावना, 2. प्रदूषण का अर्थ, 3. प्रदूषण के प्रकार- (क) वायुप्रदूषण (ख) जल प्रदूषण (ग) ध्वनि-प्रदूषण (घ) रेडियोधर्मी प्रदूषण (ङ) रासायनिक प्रदूषण, 4. प्रदूषण की समस्या तथा उससे हानि, 5. समस्या का समाधान, 6. उपसंहार ।


प्रस्तावना :- जो हमें चारों आरे से परिवृत किये हुए हैं, वही हमारा - पर्यावरण है। इस पर्यावरण के प्रति जागरूकता आज की प्रमुख आवश्यकता है; क्योंकि यह प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषण की समस्या प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत के लिए अज्ञात थी। यह वर्तमान युग ‍ में हुई औद्योगिक प्रगति एवं शास्त्रास्त्रों के निर्माण के फलस्वरूप उत्पन्न हुई है। आज इसने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि इससे मानवता के विनाश का संकट उत्पन्न हो गया है। मानव जीवन मुख्यतः स्वच्छ वायु और जल पर निर्भर है, किन्तु यदि ये दोनों ही चीजें दूषित हो जाएँ तो मानव के अस्तित्व को ही भय पैदा होना स्वाभाविक है; अतः इस भयंकर समस्या के कारणों एवं उनके निराकरण के उपायों पर विचार करना मानवमात्र के हित में है। ध्वनि-प्रदूषण पर अपने विचार व्यक्त करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता रॉबर्ट कोच ने कहा था, "एक दिन ऐसा आएगा जब मनुष्य को स्वास्थ्य के सबसे बड़े शत्रु के रूप में निर्दयी शोर से संघर्ष करना पड़ेगा।" लगाता है कि वह दुःखद दिन अब आ गया है।

पर्यावरण प्रदूषण : समस्या और समाधान|Paryavaran Pradushan Samasya Aur Samadhan


प्रदूषण का अर्थ- स्वच्छ वातावरण में ही जीवन का विकास सम्भव है। पर्यावरण का निर्माण प्रकृति के द्वारा किया गया है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त पर्यावरण जीवधारियों के अनुकूल होता है जब इस पर्यावरण को किन्हीं तत्त्वों का अनुपात इस रूप में बदलने लगता है, जिसका जीवधारियों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना होती है तब कहा जाता है कि पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। यह प्रदूषित वातावरण जीवधारियों के लिए अनेक प्रकार से हानिकारक होता है। जनसंख्या की असाधारण वृद्धि एवं औद्योगिक प्रगति ने प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है और आज इसने इतना विकराल रूप धारण कर लिया है कि इससे मानवता के विनाश का संकट उत्पन्न हो गया है। औद्योगिक तथा रासायनिक कूड़े-कचरे के ढेर से पृथ्वी, हवा तथा पानी प्रदूषित हो रहे हैं।

प्रदूषण के प्रकार :- आज के वातावरण में प्रदूषण निम्नलिखित रूप 

(क) वायु प्रदूषण :- वायु जीवन का अनिवार्य स्रोत है। प्रत्येक प्राणी को स्वस्थ रूप से जीने के लिए शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है, जिस कारण वायुमण्डल में इसका विशेष अनुपात होना आवश्यक है। जीवधारी साँस द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता हैं। पेड़-पौधों कार्बनडाइऑक्साइड लेते हैं और हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। इससे वायुमण्डल में शुद्धता शुद्धता बनी रहती है, परन्तु मनुष्य की अज्ञानता और स्वार्थी प्रवृत्ति के कारण आज वृक्षों का अत्यधिक कटाव हो रहा है। घने जंगलों से ढके पहाड़ आज नंगे दीख पड़ते हैं। इससे ऑक्सीजन का सन्तुलन बिगड़ गया है और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गयी है। इसके अलावा कोयला, तेल, धातुकणों तथा कारखानों की चिमनियों के धुएं से हवा अनेक हानिकारक गैस भर गयी हैं, जो प्राचीन इमारतों, वस्त्रों, धातुओं तथा मनुष्यों के फेफड़ों के लिए अत्यन्त घातक है।

वायु प्रदूषण | Air pollution


(ख) जल प्रदूषण :- जीवन के अनिवार्य स्रोत के रूप में वायु के बाद प्रथम आवश्यकता जल की ही होती है। जल को जीवन कहा जाता हैं। जल का शुद्ध होना स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक है। देश के प्रमुख नगरों के जल का स्रोत हमारी सदानीरा नदियाँ हैं, फिर भी हम देखते हैं कि. बड़े-बड़े नगरों के गन्दे नाले तथा सीवरों को नदियों से जोड़ दिया जाता है। विभिन्न औद्योगिक व घरेलू स्रोतों से नदियों व अन्य जल स्रोतों में दिनों दिन प्रदूषण पनपता जा रहा है। तालाबों, पोखरों व नदियों में जानवरों को नहलाना मनुष्यों एवं जानवरों के मृत शरीर को जल में प्रवाहित करना आदि में जल प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि की है। कानपुर, आगरा, मुम्बई, अलीगढ़ और न जाने कितने नगरों के कल-कारखानों का कचरा गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों को प्रदूषित करता हुआ सागर तक पहुँच रहा है।

जल प्रदूषण | water pollution


(ग) ध्वनि प्रदूषण :- ध्वनि प्रदूषण आज की एक नयी समस्या है। इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है। मोटरकार, ट्रैक्टर, जेट विमान, कारखानों के सायरन, मशीनें, लाउडस्पीकर आदि ध्वनि के सन्तुलन को बिगाड़कर ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। तेज ध्वनि से श्रवण शक्ति का ह्रास तो होता ही है साथ ही कार्य करने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे अनेक प्रकार की बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। अत्यधिक ध्वनि-प्रदूषण से मानसिक विकृति तक हो सकती है।

ध्वनि प्रदूषण | noise pollution


(घ) रेडियोधर्मी प्रदूषण :- आज के युग में वैज्ञानिक परीक्षणों का जोर है। परमाणु परीक्षण निरन्तर होते ही रहते हैं। इसके विस्फोट में रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल में फैल जाते हैं और अनेक प्रकार से जीवन का क्षति पहुँचाते हैं। दूसरे विश्व युद्ध के समय हिरोशिमा और नागासाकी में जो परमाणु बम गिराये गये थे, उनमें लाखों लोग अपंग हो गये थे और आने वाली पीढ़ी भी इसके हानिकारक प्रभाव से अभी भी अपने को बचा नहीं पायी है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण | radio pollution


(ङ) रासायनिक प्रदूषण :- कारखानों से बहते हुए अवशिष्ट द्रव्यों - के अतिरिक्त उपज में वृद्धि की दृष्टि से प्रयुक्त कीटनाशक दवाइयों और रासायनिक खादों से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ये पदार्थ पानी के साथ बहकर नदियों, तालाबों और अन्ततः समुद्र में पहुँच जाते हैं और जीवन को अनेक प्रकार से हानि पहुँचाते हैं।

रासायनिक प्रदूषण | chemical pollution


प्रदूषण की समस्या तथा उससे हानियाँ :- निरन्तर बढ़ती हुई मानव जनसंख्या, रेगिस्तान का बढ़ते जाना, भूमि का कटाव, ओजोन की परत का सिकुड़ना, धरती के तापमान में वृद्धि, वनों के विनाश तथा औद्योगीकरण ने विश्व के सम्मुख प्रदूषण की समस्या पैदा कर दी है। कारखानों के धुएँ से. विषैले कचरे के बहाव से तथा जहरीली गैसों के रिसाव से आज मानव-जीवन समयाग्रस्त हो गया हैं आज तकनीकी ज्ञान के बल पर मानव विकास की होड़ में एक-दूसरे से आगे निकल जाने की जोड़ में लगा है। इस होड़ में वह तकनीकी ज्ञान का ऐसा गलत उपयोग कर रहा है, जो सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए विनाश का कारण बन सकता हैं युद्ध में आधुनिक तकनीकों पर आधारित मिसाइलों और प्रक्षेपास्त्रों ने जन-धन की अपार क्षति तो की ही है साथ ही पर्यावरण पर भी घातक प्रभाव डाला है, जो सम्पूर्ण मानव जाति के लिए विनाश का कारण बन सकता है। 


युद्ध में आधुनिक तकनीकों पर आधारित मिसाइलों और प्रक्षेपास्त्रों ने जन-धन की अपार शक्ति तो की ही साथ ही पर्यावरण पर भी घातक प्रभाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य में गिरावट उत्पादन में कमी और विकास प्रक्रिया में बाधा आयी है। वायु प्रदूषण का गम्भीर प्रतिकूल प्रभाव मनुष्यों एवं अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। सिरदर्द, आंखें दुखना, खाँसी, दमा, हृदय रोग आदि किसी न किसी रूप में वायु प्रदूषण से जुड़े हुए हैं। प्रदूषित जल के सेवन से मुख्य रूप से पाचन तन्त्र सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति वर्ष लाखों बच्चे दूषित जल पीने के परिणामस्वरूप उत्पन्न रोगों से मर जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण के भी गम्भीर और पातक उस पड़ते हैं। ध्वनि प्रदूषण (शोर) के कारण शारीरिक और मानसिक तनाव तो बढ़ता ही है साथ ही साथ श्वसन गति और नाड़ी-नति में उतार जठरान्त्र की गातशीलता में कमी तथा रुधिर परिसंचरण हृदय पेशी के गुणों में भी परिवर्तन हो जाता है तथा प्रदूषण जन्य अनेकानेक बीमारियों से पीड़ित मनुष्य समय से पूर्व ही मृत्यु का ग्रास बन जाता है। 


समस्या का समाधान :- महान शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं ने इससमस्या की ओर गम्भीरता से ध्यान दिया है। आज विश्व का प्रत्येक देश इस ओर सजग है। वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है। मानव को चाहिए कि वह वृक्षों और वनों को कुल्हाड़ियों का निशाना बनाने के बजाय उन्हें फलते-फूलते देखे तथा सुन्दर पशु-पक्षियों को अपना भोजन बनाने के बजाय उनकी सुरक्षा करे। साथ ही भविष्य के प्रति आशंकित, आतंकित होने से बचने के लिए सबको देश की असीमित बढ़ती जनसंख्या को सीमित करना होगा, जिससे उनके आवास के लिए खेतों और वनों को कम न करना पड़े। कारखाने और मशीनें लगाने की अनुमति उन्हीं व्यक्तियों को दी जानी चाहिए, जो औद्योगिक कचरे और विषैले धुएँ बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था कर सके। संयुक्त राष्ट्र संघ को चाहिए कि वह परमाणु परीक्षणों को नियन्त्रित करने की दिशा में कदम उठाये। तकनीकी ज्ञान का उपयोग खोये हुए पर्यावरण को फिर से प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए। वायु प्रदूषाण से बचने के लिए हर घरो की गन्दगी एवं कचरे को विधिवत् समाप्त करने के उपाय निरन्तर किये जाने चाहिए। जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए औद्योगिक संस्थानों में ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि व्यर्थ पदार्थों एवं जल को प्रचारित करके ही बाहर निकाला जाए तथा इनको जल स्रोतों से मिलने से रोका जाना चाहिए। इंग्लैण्ड में लन्दन का मैला पहले टेम्स नदी में गिरकर जल को दूषित करता था। अब वहाँ की सरकार ने टेम्स नदी के किनारे एक विशाल कारखाना बनाया है, जिससे लन्दन की सारी गन्दगी और मैला मशीनों से साफ होकर उत्तम जल बन जाता है। साफ पानी टेम्स नदी में छोड़ दिया जाता है। अब इस पानी में मछलियाँ पहले से कई अधिक संख्या में पैदा हो रही है। ध्वनि प्रदूषण को नियन्त्रित करने के प्रभावी उपाये किये जाने चाहिए। सार्वजनिक रूप से लाउडस्पीकरों आदि के प्रयोग को नियन्त्रित किया जाना चाहिए।


उपसंहार - पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को रोकने व उसके समुचित संरक्षण के लिए समस्त विश्व में एक नयी चेतना उत्पन्न हुई है। हम सभी का उत्तरदायित्व है कि चारों ओर बढ़ते इस प्रदूषित वातावरण के खतरों के प्रति सचेत हों तथा पूर्ण मनोयोग से सम्पूर्ण परिवेश को स्वच्छ व सुन्दर बनाने का प्रयत्न करें। वृक्षारोपण का कार्यक्रम सरकारी स्तर पर जोर-शोर से चलाया जा रहा तथा वनों की अनियन्त्रित कटाई को रोकने के लिए भी कठोर नियम बनाये गये हैं। इस बात के भी प्रयास किये जा रहे हैं कि नये-नये वन क्षेत्र बनाये जाएँ और जनसामान्य को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इधर न्यायालय को प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को महानगरों से बाहर ले जाने के आदेश दिये गये हैं ताकि नये उद्योगों को लाइसेन्स दिये जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था कर पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करने को अनिवार्य कर दिया गया हैं यदि जनता भी अपने ढंग से इन कार्यक्रमों में सक्रिय सहयोग दे और यह संकल्प ले कि जीवन में आने वाले प्रत्येक शुभ अवसर पर कम-से-कम एक वृक्ष अवश्य लगाएगें तो निश्चित ही हम प्रदूषण के दुष्परिणामों से बच सकेंगे और आने वाली पीढ़ी को भी उनकी काली छाया से बचाने में समर्थ हो सकेंगे।

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