आतंकवाद समस्या एवं समाधान पर निबंध
सम्बद्ध शीर्षक:
- आतंकवाद के निराकरण के उपाय
- आतंकवाद
- आतंकवाद की विभीषिका
- भारत में आतंकवाद की समस्या
- आतंकवाद : एक समस्या
- आतंकवाद: कारण और निवारण
- आतंकवाद का समाधान
- भारत में आतंकवाद के बढ़ते कदम
- भारत में आतंकवाद की समस्या और समाधान
प्रमुख विचार:-बिन्दु 1 प्रस्तावना 2 आतंकवाद का अर्थ, 3.आतंकवाद एक विश्वव्यापी समस्या, 4. भारत में आतंकवाद, 5. जिम्मेदार कौन? 6. आतंकवाद के विविध रूप 7. आतंकवाद का समाधान, 8.उपसंहार
प्रस्तावना :- मनुष्य भय से निष्क्रिय और पलायनवादी बन जाता है। इसीलिए लोगों में भय उत्पन्न करने कुछ असामाजिक तत्व अपने नीच स्वार्थों की पूर्ति करने का प्रयास करने लगते हैं। इस कार्य के लिए वे हिंसापूर्ण साधनों का प्रयोग करते हैं। ऐसी स्थितियाँ ही आतंकवाद का आधार हैं आतंक फैलाने वाले आतंकवादी कहलाते हैं। ये कहीं से बनकर नहीं आते। ये भी समाज के एक ऐसे अंग हैं जिनका काम आतंकवाद के माध्यम से किसी धर्म, समाज अथवा राजनीति का समर्थन कराना होता है ये शासन का विरोध करने में बिलकुल नहीं हिचकते तथा जनता को अपनी बात मनवाने के लिए विवश करते रहते हैं।
आतंकवाद का अर्थ :- 'आतंकवाद' से बने इस शब्द का सामान्य अर्थ है- आतंक का सिद्धान्त। यह अंग्रेजी के टेररिज्म शब्द का हिन्दी रूपान्तर है 'आतंक' का अर्थ होता है- पीड़ा, डर, आशंका। इस प्रकार आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है, जो अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए बल-प्रयोग में विश्वास रखती है। ऐसा बल-प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग, समुदाय या सम्प्रदाय को भयभीत करने और उस पर अपनी प्रभुता स्थापित करने की दृष्टि से किया जाता है। आतंक, मौत, त्रास ही इनके लिए सब कुछ होता है। आतंकवादी यहीं नहीं जानते कि “कौन कहता है कि मौत को अंजाम होना चाहिए। जिन्दगी को जिन्दगी का पैगाम होना चाहिए।। "
आतंकवाद: एक विश्वव्यापी समस्या :- आज लगभग समस्त विश्व में आतंकवाद सक्रिय है। ये आतंकवादी समस्त विश्व में राजनीतिक स्वार्थी की पूर्ति के लिए सार्वजनिक हिंसा और हत्याओं का सहारा ले रहे हैं। भौतिक दृष्टि से विकसित देशों में तो आतंकवाद की इस प्रवृत्ति ने विकराल रूप ले लिया है। कुछ आतंकवादी गुटों ने तो अपने अन्तर्राष्ट्रीय संगठन बना लिये हैं। जे० जे० स्मिथ अपनी बहुचर्चित पुस्त 'लीगल कण्ट्रोल ऑफ इण्टरनेशनल टेररिज्म' में लिखते हैं कि इस समय संसार में जैसा तनावपूर्ण वातावरण बना हुआ है, उसको देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भविष्य में अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद में और तेजी आएगी। किसी देश द्वारा अन्य देश में आतंकवादी गुटों को समर्थन देने की घटनाएँ बढ़ेगी; राजनयिकों की हत्याएँ, विमान अपहरण की घटनाए बढ़ेंगी और रासायनिक हथियारों का प्रयोग अधिक तेज होगा। श्रीलंका में तमिलों, जापान में रेड आर्मी, भारत में सिक्ख होमलैण्ड और स्वतन्त्र कश्मीर चाहने वालों आदि के हिंसात्मक संघर्ष आतंकवाद की श्रेणी में आते हैं।
भारत में आतंकवाद :- स्वाधीनता के पश्चात् भारत के विभिन्न भागों में अनेक आतंकवादी संगठनों द्वारा आतंकवादी हिंसा फैलायी गयी है। इन्होंने बड़े-बड़े सरकारी अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया और इतना आतंक फैलाया कि अनेक अधिकारियों ने सेवा से त्यागपत्र दे दिये। भारत के पूर्वी राज्यों नागालैण्ड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल और असोम में भी अनेक बार उग्र आतंकवादी हिंसा फैली, किन्तु अब यहाँ असम के बोडो आतंकवाद को छोड़कर शेष सभी शान्त हैं। बंगाल के नक्सलवाड़ी से जो नक्सलवादी आतंकवाद पनपा था, वह बंगाल से बाहर भी खूब फैला बिहार तथा आन्ध्र प्रदेश अभी भी उसकी भयंकर आग से झुलस रहे हैं।
कश्मीर घाटी में भी पाकिस्तानी तत्वों द्वारा प्रेरित आतंकवादी प्रायः राष्ट्रीय पर्वो (15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर आदि) पर भयंकर हत्याकाण्ड कर अपने अस्तित्व की घोषणा करते रहते हैं। इन्होंने कश्मीर की सुकोमल घाटी को अपनी आतंकवादी गतिविधियों का केन्द्र बनाया हुआ है। आये दिन निर्दोष लोगों की हत्याएं की जा रही है और उन्हें आतंकित किया जा रहा है, जिससे वे अपने घर, दुकानें और कारखान छोड़कर भाग खड़े ह ऐसा कोई भी दिन नहीं बीतता जिस दिन समाचार-पत्रों में किसी आतंकवाद घटना में दस-पांच लोगों के मारे जाने की खबर छपा हो आतंकवादी गतिविधियों में सबसे भयंकर रहा पंजाब का आदी शताब्दी की नवा दशाब्दी में पंजाब में जो कुछ हुआ, उस और हतप्रभ रह गया।
पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित सीमा पार से कश्मीर और अब देश के अन्य भागा में बरपायी जाने वाली और दिल दहला देने वाली घटनाएँ आतंकवाद का सबसे घनीना रूप है। सीमा पार के आतंकवाद हमलों में अब तक एक लाख से भी अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हाल के वर्षों में संसद पर हमला हुआ, इण्डियन एयर लाइसन्स के विमान में 814 का अपहरण कर उसे कन्धार ले जाया गया, फिर चिट्टी सिंहपुरा में सिक्खों का कत्लेआम किया गया तथा अमरनाथ यात्रियों पर हमले किये गये।
जिम्मेदार कौन?- आतंकवादी गतिविधियों को गुप्त और अप्रत्यक्ष रूप से प्रश्रय देने वाला अमेरिका भी अन्ततः अपने खोदे हुए गड्ढों में खुद ही गिर गया। राजनैतिक मुखौटों में छिपी उसकी काली करतूतें अविश्वसनीय रूप से उजागर हो गयीं और जब उसके प्रसिद्ध शहर न्यूयार्क में 11 सितम्बर 2001 को 'वर्ल्ड ट्रेड टावर' पर आतंकवादी हमला हुआ। अन्य देशों पर हमले करवाने में अग्रगण्य इस देश पर हुए इस व्रजपात पर सारा संसार अचम्भित रह गया। 'ओसामा बिन लादेन' नामक हमले के उत्तरदायी आतंकवादी को ढूँढ़ने में अमेरिकी सरकार ने जो सरगर्मियाँ दिखायी उसने सिद्ध कर दिया कि जब तक कोई देश स्वयं पीड़ा नहीं झेलता तब तक उसे पराये की पीड़ा का अनुभव नहीं हो सकता। भारत वर्षों से चीख-चीख कर सारे विश्व के सामने यह अनुरोध करता आया था कि पाकिस्तान अमेरिका द्वारा दी गयी आर्थिक और अस्त्र-शस्त्र सम्बन्धी सहायता का उपयोग भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए कर रहा है, अतः अमेरिका पाकिस्तान को आतंकवादी राष्ट्र घोषित करे और उसे किसी भी किस्म की सहायता देना बन्द करे; किन्तु भारतीयों की मृत्यु के लिए अमेरिका के पास उत्तर था
खत्म होगा न जिन्दगी का सफर
मौत बस रास्ता बदलती है।
जैसे भारतीयों पर होने वाले इस प्रकार के हमले कोई मायने नहीं रखते। यदि किसी मायूस बच्चे से भी पूछें तो अनवर आतंकवादी गतिविधियों के शिकार क्षेत्र का वह निवासी बस यूँ ही कुछ कह सकेगा
वैसे तो तजुर्बे की खातिर, नाकाफी है यह उम्र मगर। हमने तो जरा से अरसे में, मत पूछिए क्या-क्या देखा है?
आतंकवाद के विविध :- रूप भारत के आतंकवादी गतिविधि निरोधक कानून 1985 में आतंकवाद पर विस्तार से विचार किया है और आतंकवाद को तीन भागों में बाँटा गया है
1. समाज के एक वर्ग विशेष को अन्य वर्गों से अलग-अलग करने और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच व्याप्त आपसी सौहार्द को खत्म करने के लिए की गयी हिंसा।
2. ऐसा कोई कार्य, जिसमें ज्वलनशील, बम तथा आग्नयशास्त्रा का प्रयोग किया गया हो।
3. ऐसी हिंसात्मक कार्यवाही, जिसमें एक या उससे अधिक व्यक्ति मारे गये हों या घायल हुए हों, आवश्यक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा हो तथा सम्पत्ति को हानि पहुँची हो। इसके अन्तर्गत प्रमुख व्यक्तियों का अपहरण या हत्या या उन्हें छोड़ने के लिए सरकार के सामने उचित-अनुचित माँगे रखना वायुयानों का का अपहरण, बैंक डकैतियाँ आदि सम्मिलित हैं।
आतंकवाद का समाधान- भारत में विषमतम स्थिति तक पहुँचे आतंकवाद के समाधान पर सम्पूर्ण देश के विचारकों और चिन्तकों ने अनेक सुझाव रखे, किन्तु यह समस्या अभी भी अनसुलसी ही है।
इस समस्या का वास्तविक हल ढूँढने के लिए सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि साम्प्रदायिकता का लाभ उठाने वाले सभी राजनीतिक दलों की गतिविधियों में परिवर्तन हो। साम्प्रदायिकता के इस दोष से आज भारत के सभी राजनीतिक दल न्यूनाधिक रूप में दूषित अवश्य हैं।
दूसरे, सीमा पार से प्रशिक्षित आतंकवादियों के प्रवेश और वहाँ से भेजे जाने वाले हथियारों व विस्फोटक पदार्थों पर कड़ी चौकसी रखनी होगी तथा सुरक्षा बलों को आतंकवादियों की अपेक्षा अधिक अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्रों से लैस करना होगा।
तीसरे, आतंकवाद को महिमामण्डित करने वाली युवको की
मानसिकता बदलने के लिए अधिक सुधार करने होंगे। चौथे, राष्ट्र की मुख्यधारा के अन्तर्गत संविधान का पूर्णत: पालन करते हुए पारस्परिक विचार-विमर्श से सिक्खों, कश्मीरियों और असमियों की माँगों का न्यायोचित समाधान करना होगा और तुष्टीकरण की नीति को त्यागकर समग्र राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता की भावना को जाग्रत करना होगा।
पाँचवे, कश्मीर के आतंकवाद को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सख्ती से कुचलना होगा। इसके लिए राजनैतिक दलों को सार्थक पहल करनी होगी।
यदि सम्बन्धित पक्ष इन बातों का ईमानदारी से पालन करें तो इस महारोग से मुक्ति सम्भव है।
उपसंहार- यह एक विडम्बना ही है कि महावीर, बुद्ध, गुरु नानक और महात्मा गांधी जैसे महापुरूषो की जनमभूमि पिछले कुछ दशको से सबसे अधिक अशान्त हो गयी है। देश की 135 करोड जनता ने हिंसा की सत्ता को स्वीकार करते हुए इसे अपने दैनिक जीवन का अंग मान लिया है। भारत के विभिन्न भागों में हो रही आतंकवादी गतिविधियों ने देश की एकता और अखण्डता के लिए संकट उत्पन्न कर दिया है।
आतंकवाद का समूल नाश ही इस समस्या का समाधान है। टाडा के स्थान पर भारत सरकार द्वारा एक नया आतंकवाद निरोधक कानून पोटा लाया गया जिसे दूसरी सरकार ने यह कहते हुए कि ये सख्त और व्यापक कानून आतंकवाद को समाप्त करने की गारण्टी नहीं है; इन्हें समाप्त कर दिया। आतंकवाद का संपूर्णता से अंकुश लगाने की इच्छुक सरकार को अपने उस प्रशासनिक तन्त्र को भी बदलने पर विचार करना चाहिए, जो कानूनगों पर अमल नहीं करता है, तब ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकल जायेगा।
Post a Comment