विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व पर निबंध|स्वास्थ्य शिक्षा : आवश्यकता एवं महत्त्व

विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा का महत्त्व पर निबंध|स्वास्थ्य शिक्षा : आवश्यकता एवं महत्त्व

संकेत बिन्दु :- भूमिका, विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता, स्वास्थ्य शिक्षा के लाभ, उपसंहार।

भूमिका :- किसी भी देश की प्रगति के लिए वहाँ के नागरिकों का स्वस्थ रहना आवश्यक है। व्यक्तित्व के निर्माण और समाज के उत्थान हेतु स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। चाल्स ए. बुचर के अनुसार — “स्वास्थ्य शिक्षा सम्पूर्ण शिक्षा-क्रिया का अभिन्न अंग है। इसका उद्देश्य शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक एवं सामाजिक दृष्टि से परिपूर्ण नागरिकों का ऐसी शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से विकास करना है, जिनका चयन इन उद्देश्यों को सामने रखकर किया गया हो।” स्वास्थ्य शिक्षा के अभाव में अन्य सभी प्रकार की शिक्षाएँ अपूर्ण हैं। यदि मनुष्य स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का उचित प्रकार से पालन करेगा तो कई रोगों से उसका बचाव हो सकता है।

विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा :- विद्यालय में जितना महत्त्व पाठ्य सम्बन्धी शिक्षा को दिया जा रहा है, उतना ही महत्त्व स्वास्थ्य शिक्षा को भी दिया जाना चाहिए। प्रत्येक विद्यालय के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा से सम्बन्धित नियमों का निर्धारण करें व इस दिशा में सदैव प्रयत्नशील रहे। विद्यालयों का यह कर्त्तव्य होना चाहिए कि वे अपने छात्रों को स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों- खाँसना, छींकना, थूकना, नशीलें पदार्थों के सेवन आदि से होने वाली हानियों से अवगत कराएँ, जिससे छात्र अपने स्वास्थ्य का उचित प्रकार विकास कर सकेंगे।

छात्रों को स्वास्थ्य से सम्बन्धित शिक्षा देने, स्वास्थ्य सम्बन्धी उद्देश्यों पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है, जो निम्न हैं

• छात्रों के स्वास्थ्य पर ध्यान देते हुए उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी प्रकार की उचित जानकारी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।

• छात्रों में अच्छे स्वास्थ्य के लिए रुचि व जागरूकता पैदा की जाए। 

• प्रत्येक छात्र के स्वास्थ्य के लिए समय-समय पर जाँच पड़ताल की जानी चाहिए।

• छात्रों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने हेतु उन्हें अपने आस-पास के वातावरण की सफाई के महत्त्व से अवगत कराया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता :- आधुनिक समय में स्वास्थ्य शिक्षा के महत्त्व पर विशेष जोर दिया जा रहा है। सरकार द्वारा सरकारी विद्यालयों में छात्रों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कहा गया है- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। यदि छात्र शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं, तो वह दोगुने उत्साह के साथ अन्य गतिविधियों में भाग ले सकेंगे। स्वस्थ मनुष्यों से स्वस्थ समाज और राष्ट्र का निर्माण हो पाता है। चाहे वह विद्यार्थी हों, मजदूर हों या अन्य किसी क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति ही क्यों न हों वह अपने कार्य को उचित प्रकार तभी सम्पन्न कर सकते हैं, जब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ होंगे। विद्यालयों का कर्त्तव्य हैं कि वे छात्रों को स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारी एवं सेवाएँ उपलब्ध कराएँ, जिससे छात्र अपने जीवन का स्तर ऊँचा कर सकें।

स्वास्थ्य शिक्षा के लाभ :- विद्यालय में प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य शिक्षा का छात्र पर गहरा प्रभाव पड़ता है। कुछ व्यक्ति स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ मनोरंजन के साधन खेलने-कूदने के साधन या व्यायाम के रूप में लेते हैं, इसी कारण भारत में आज स्वास्थ्य शिक्षा की स्थिति अत्यन्त विचित्र है।स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा छात्र अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकता है, साथ ही अपना जीवन प्रसन्नतापूर्वक व्यतीत कर सकता है। स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा छात्र रोगों से विमुक्त रह पाएगा। इससे छात्र के आत्मविश्वास में वृद्धि होगी एवं वह सफलता के पथ पर अग्रसर होगा। छात्र हमारे देश की नींव हैं। यदि छात्र सुरक्षित व स्वस्थ रहेंगे तो वह देश की प्रगति में अपना योगदान दे पाएँगे।

उपसंहार :- विद्यालय में जब तक स्वास्थ्य शिक्षा को शिक्षा का एक महत्त्वपूर्ण अंग नहीं स्वीकार किया जाता है, तब तक देश के नवयुवक देश की प्रगति में अपना योगदान नहीं दे पाएँगे। मनुष्य के व्यक्तित्व में चारित्रिक परिपक्वता लाने हेतु व आदर्श व्यक्तित्व के निर्माण हेतु स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान दिया जाना अत्यन्त आवश्यक है। अतः स्वास्थ्य मानव जीवन का आधार है। इसलिए कहा भी गया है कि 'यदि मनुष्य के पास से धन चला गया तो समझो कुछ नहीं गया, यदि उसका चरित्र चला गया तो समझो की कुछ-कुछ चला गया और यदि उसका स्वास्थ्य चला गया तो समझो सब कुछ चला गया।


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