आधुनिक शिक्षा प्रणाली : गुण और दोष पर निबंध 

आधुनिक शिक्षा प्रणाली: गुण और दोष पर निबंध | वर्तमान शिक्षा प्रणाली के गुण और दोष पर निबंध

संकेत :- बिन्दु भूमिका, आधुनिक शिक्षा प्रणाली के गुण, आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दोष, आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार, उपसंहार ।

भूमिका :- शिक्षा जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है, इसलिए समाज एवं देश के हित के लिए इसके उद्देश्य का निर्धारण आवश्यक है। समाज एवं देश में समय के अनुसार, परिवर्तन होते रहते हैं, जिनका प्रभाव शिक्षा के उद्देश्यों पर भी पड़ता है। 

उदाहरण के लिए; वैदिककाल में वेद मन्त्रों की शिक्षा को पर्याप्त कहा जाता था, किन्तु वर्तमान काल में मनुष्य के विकास के लिए व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए। यद्यपि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में देश में व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति देखने को मिली है, किन्तु यह अभी पर्याप्त नहीं है। हालाँकि आज शिक्षा के क्षेत्र में नित नवीन प्रयोग किए जा रहे हैं, जिसमें छात्रों के नैतिक विकास, स्वावलम्बन की भावना आदि में विकास का प्रयास किया जा रहा है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली के गुण :- आधुनिक युग में शिक्षा प्रणाली छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए प्रचलित की जा रही है। आज इण्टरनेट के माध्यम से शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। छात्रों को विश्व के एक छोर से दूसरे छोर पर स्थित पुस्तकालय से जोड़कर किसी भी विषय का ज्ञान प्रदान करवाया जाता है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में परीक्षा प्रणाली के क्षेत्र में भी आमूल-चूल परिवर्तन एवं संशोधन किए गए हैं, जिसके द्वारा आज शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। परीक्षा प्रणाली को वार्षिक के स्थान पर सेमेस्टर प्रणाली में बदला गया है, इसके अतिरिक्त आज छात्रों की योग्यता का मूल्यांकन उसकी स्मरण शक्ति की अपेक्षा पूरे वर्ष उनके द्वारा किए जा रहे क्रिया-कलापों से आँका जाता है। साथ ही आधुनिक समय में अंक प्रणाली के स्थान पर ग्रेड प्रणाली को अपनाया जा रहा है।

सरकार ने शिक्षा प्रणाली में सुधार हेतु 6-14 वर्ष की आयु के सभी छात्रों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान करके शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय प्रयास किया है। आधुनिक शिक्षा की व्यवस्था के कारण ही ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता हेतु विद्यालय खोले गए हैं। शिक्षा की इस प्रकार सभी छात्रों तक पहुँच हेतु ज्ञान का विस्तार पूरी दुनिया में बहुत तेजी से हो रहा है। 

आज की परिस्थिति में शिक्षा स्वयं एक उत्पाद बन गई है, जोकि मानव संसाधन विकास के लिए अनिवार्य है। तकनीकी क्रान्ति के फलस्वरूप आधुनिक शिक्षा प्रणाली, शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रही है। आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में छात्रों के शारीरिक व मानसिक विकास का ध्यान रखा जाता है। आधुनिक शिक्षा के द्वारा नवयुवक आज विशेष उपलब्धियों को प्राप्त करने में सफल हो पाए हैं।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दोष :- स्वतन्त्रता के पश्चात् शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक विस्तार होने के बावजूद भी आधुनिक शिक्षा प्रणाली में अनेक त्रुटियाँ हैं। आधुनिक शिक्षा में सन्तुलन, विवेकशीलता, नैतिकता का स्थान समाप्त होता जा रहा है। आधुनिक शिक्षा के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है, जिससे बेरोज़गारी आदि समस्याओं में वृद्धि हुई है। आधुनिक शिक्षा में डिग्री की प्रधानता, अनुशासनहीनता, दिशाहीन परीक्षा प्रणाली, नैतिक शिक्षा का अभाव आदि होने के कारण इसमें ज्ञान और बुद्धि का अभाव पाया जाता है। यद्यपि आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में नवीन प्रयोग किए जा रहे हैं, किन्तु यह शिक्षा व्यवस्था उच्च वर्ग तक सीमित होती जा रही है। 

शिक्षा व्यवस्था ने आज नवयुवकों को इस स्तर पर ला खड़ा कर दिया है जहाँ उनके पास पुस्तकीय ज्ञान के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। आधुनिक शिक्षा व्यवस्था ने छात्रों को भारतीय सभ्यता, संस्कृति, जीवन मूल्यो, नैतिकता, परम्पराओं से दूर कर दिया है, जिसके फलस्वरूप छात्रों में असन्तोष, प्रतिस्पर्द्धा, द्वेष भावना आदि में वृद्धि हो रही है। आधुनिक शिक्षा के फलस्वरूप छात्र अपनी राष्ट्रभाषा को भूलते जा रहे हैं। शिक्षा का स्तर निम्न से निम्नतर होता जा रहा है।

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार :- आधुनिक शिक्षा प्रणाली में व्याप्त कमियों को दूर करने के लिए शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाना होगा। पाठ्यक्रम को इस प्रकार तैयार करना होगा, जो छात्रों के ज्ञान को बढ़ाने के साथ-साथ व्यवसाय एवं रोजगार का चुनाव करने में भी सहायक हो। शिक्षा छात्रों की रुचि के अनुरूप हो इसे छात्रों पर थोपा नहीं जाना चाहिए। छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के ढाँचे को तैयार किया जाना चाहिए। सम्पूर्ण देश में एक समान पाठ्यक्रम व शिक्षा प्रणाली को लागू किया जाना चाहिए तथा सरकार को निजी (पब्लिक) स्कूल व निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी करने पर रोक लगानी चाहिए।

उपसंहार :- आधुनिक शिक्षा प्रणाली के कुशल संचालन हेतु व शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने हेतु केन्द्र व राज्य सरकारों को अपनी मूक दर्शक मुद्रा को छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक सक्रिय पर्यवेक्षक की भूमिका निभानी चाहिए, अन्यथा आधुनिक शिक्षा निजी हाथों में कुछ मुट्ठी भर पूंजीपतियों की तिजोरियों को भरने और देश के नवयुवकों को अन्धकार में झोकने का जरिया बनकर रह जाएगी। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शिक्षक शिक्षार्थी के अनुपात को सुनिश्चित करने के लिए भी कड़े कदम उठाकर उसे उचित प्रकार से लागू भी किया जाना चाहिए।

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FAQ :- आधुनिक शिक्षा प्रणाली

1.आधुनिक शिक्षा प्रणाली क्या है?

उत्तर:-  भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश प्रतिरूप पर आधारित है जिसे सन् 1835 में लागू किया गया । जिस तीव्र गति से भारत के राजनैतिक,सामाजिक व आर्थिक परिदृश्य में बदलाव आ रहा है उसे देखते हुए यह आवश्यक है कि हम देश की आधुनिक शिक्षा प्रणाली की पृष्ठभूमि, उद्‌देश्य, चुनौतियों तथा संकट पर गहन अवलोकन करें ।

2.आधुनिक शिक्षा प्रणाली की विशेषता क्या है?

उत्तर:- वास्तव में व्यावसायिक एवं तकनीकी आधुनिक शिक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषता हैं. प्राथमिक शिक्षा की आवश्यकता को देखते हुए शिक्षा के अधिकार अधिनियम साल 2009 के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग वाले बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान किया गया हैं.

3.आधुनिक शिक्षा का महत्व क्या है?

उत्तर:-  आधुनिक युग में शिक्षा का महत्व लोगों को अपना जीवन जीने में और अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए शिक्षा की काफी जरूरत है। शिक्षा जीवन को बेहतर बनाने वाली संभावनाओं तक पहुँचती है।

4.वर्तमान शिक्षा प्रणाली क्या है?

उत्तर:-  इस शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत देश में नई-नई विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं स्कूलों की स्थापना की गई और यह प्रक्रिया अनवरत जारी है। इसमें शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ाने के साथ-साथ साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी हुई है।साल 2011 की जनगणना के आकड़ों के अनुसार इस समय देश की कुल साक्षरता दर 73.0% है।

5.आधुनिक शिक्षा प्रणाली के दोष क्या थे?

उत्तर:- यह विशेष वर्ग तक सीमित था और आम जनता को आकर्षित नहीं करता था

6.आधुनिक शिक्षा का मूल उद्देश्य क्या है?

उत्तर:-  इस प्रकार आधुनिक शिक्षा प्रणाली धारणा के अनुसार, "बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास तथा उसमें सामाजिक कुशलता के गुणों का विकास करना ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है।

7.प्राचीन शिक्षा प्रणाली और आधुनिक शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है?

उत्तर:-  श्रीकृष्ण और सुदामा दोनों की मित्रता तो मिसाल ही है, वह गुरुकुल में ही हुई थी। किंतु प्राचीनकाल में एक दोष भी था कि केवल राजा महाराजाओं के पुत्रों को ही गुरुकुल में शिक्षा दी जाती थी। आधुनिक शिक्षा प्रणाली विद्यालय केंद्रित हैं। करीब 2.5 साल की उम्र से ही बच्चे शिक्षा लेना शुरू कर देते हैं।


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