इण्टरनेट की शैक्षिक उपयोगिता पर निबंध | Essay on Uses of Internetइण्टरनेट की शैक्षिक उपयोगिता पर निबंध

संकेत बिन्दु :- भूमिका, सूचना क्रान्ति की देन, शैक्षिक उपयोगिता, उपसंहार

भूमिका :- "इण्टरनेट सार्थक समाज में शिक्षा संगठन और भागीदारी की दिशा में एक बहुत ही सकारात्मक कदम हो सकता है।" नोम चॉम्सिकी का यह कथन वर्तमान सन्दर्भ में बिलकुल सत्य प्रतीत होता है। पहले लोगों के शौक-खेलना, पढ़ना, संगीत सुनना, चित्र बनाना, फोटोग्राफी इत्यादि हुआ करते थे। आजकल उनसे शौक के बारे में पूछिए तो हर दस में से सात लोगों का जवाब होगा इण्टरनेट सर्फिंग और कमाल तो यह कि इण्टरनेट के माध्यम से खेलने, पढ़ने, संगीत सुनने और चित्र बनाने जैसे शौक भी पूरे किए जा सकते हैं।

सूचना क्रान्ति की देन :- इण्टरनेट को कोई जादू, कोई विज्ञान का चमत्कार, तो कोई ज्ञान का सुपर हाई-वे कहता है। आप जो भी कहिए, किन्तु इस बात में कोई सन्देह नहीं कि सूचना क्रान्ति की देन यह इण्टरनेट न केवल मानव के लिए अति उपयोगी साबित हुआ है, बल्कि संचार में गति एवं विविधता के माध्यम से इसने दुनिया को बिलकुल बदलकर रख दिया है, तभी अमेरिका के लेखक डेव बैरी ने कहा है- "इण्टरनेट, कॉल प्रतीक्षा (टेलीफोन व मोबाइल) के आविष्कार के बाद मानव संचार के इतिहास में सबसे महत्त्वपूर्ण एकल विकास है।" सूचना एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों को साझा करने के लिए विभिन्न संचार माध्यमों से आपस में जुड़े कम्प्यूटरों एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का समूह, कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता है और इन्हीं कम्प्यूटर नेटवर्कों का विश्वस्तरीय नेटवर्क इण्टरनेट है।

शैक्षिक उपयोगिता :- इण्टरनेट के माध्यम से आज शैक्षिणिक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा सकता है। विश्व के एक छोर से दूसरे छोर पर स्थित पुस्तकालय से जुड़कर किसी विषय का विशेष ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अपनी संस्था तथा उसकी गतिविधियों, विशेषताओं आदि के बारे में इण्टरनेट पर अपना वेबपेज बना सकता है, जिसे करोड़ों लोग अपने इण्टरनेट पर देख सकते हैं। विश्व व्यापारी संजाल यानि वर्ल्ड वाइड वेब (www) वैश्विक पहुँच का सर्वोत्तम साधन सिद्ध हो रहा है। इण्टरनेट सेवा प्रदाता कम्पनियाँ मामूली शुल्क लेकर उपभोक्ताओं को इण्टरनेट सेवाएं प्रदान करती हैं। 

इण्टरनेट का सबसे बड़ा लाभ दूरस्थ शिक्षा में होता है, जिसके माध्यम से छात्रों को शिक्षा अर्जित करने के लिए अपने घर से दूर नहीं जाना पड़ता, बल्कि घर बैठे ही कम अवधि में इण्टरनेट के द्वारा सुदूर स्थित कक्षाओं में भाग लिया जा सकता है। इण्टरनेट के इसी लाभ के कारण भारत में दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम तेज़ी से लोकप्रिय होते जा रहे हैं। यही नहीं इण्टरनेट के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में भी दूरस्थ शिक्षण पाठ्यक्रम लोकप्रिय हो गए हैं। सरकार द्वारा इण्टरनेट के माध्यम से छात्रों को शिक्षा प्रदान करने पर विशेष ज़ोर दिया रहा है। इसलिए सभी विद्यालयों में माध्यमिक स्तर पर कम्प्यूटर शिक्षा को अनिवार्य किया जा रहा है। 

इण्टरनेट के द्वारा छात्र वस्तुओं की पहचान करने, प्रोजेक्ट तैयार करने, मॉडल बनाने आदि कार्य कम समय में व शीघ्र कर पाते हैं। कम्प्यूटर व इण्टरनेट का प्रयोग करके शिक्षण को अधिक प्रभावी बनाया जाता है। इण्टरनेट न केवल छात्रों को सैद्धान्तिक तत्त्वों को व्याख्यायित करने में लाभकारी है अपितु छात्रों के कौशल को विकसित करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इण्टरनेट के द्वारा सम्पूर्ण विश्व की जानकारी भी कम्प्यूटर का एक बटन दबाते ही प्राप्त की जा सकती है। इसके माध्यम से छात्र हावर्ड, ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों से भी ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। 

उपसंहार :- इण्टरनेट के कई लाभ हैं, तो इसकी कई कमियाँ भी हैं। कई लोग इण्टरनेट का दुरुपयोग अश्लील साइटों को देखने और सूचनाओं को चुराने में भी करते हैं। इससे साइबर अपराधों में वृद्धि हुई है। इण्टरनेट से जुड़ते समय वायरसों द्वारा सुरक्षित फाइलों के नष्ट या संक्रमित होने का खतरा भी बना रहता है। इन वायरसों से बचने के लिए एण्टी वायरस सॉफ्टवेयर का प्रयोग आवश्यक होता है। इन सबके अतिरिक्त बहुत से लोग इस पर अनावश्यक और गलत आँकड़े एवं तथ्य भी प्रकाशित करते रहते हैं। अतः इस पर उपलब्ध सभी आँकड़ों एवं तथ्यों को हमेशा प्रामाणिक नहीं माना जा सकता। 

इनके इस्तेमाल के समय हमे काफ़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत पड़ती है। इस तरह, इण्टरनेट यदि ज्ञान का सागर है, तो इसमें 'कूड़े-कचरे' की भी कमी नहीं। यदि इसका सही इस्तेमाल करना आ जाए, तो इस सागर से ज्ञान व प्रगति के मोती हासिल होंगे और यदि गलत इस्तेमाल किया जाए, तो कूड़े-कचरे के अतिरिक्त कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। इण्टरनेट पर उपलब्ध ज्ञान के साथ एवं इस माध्यम का सही ढंग से समुचित उपयोग मनुष्य की तरक्की में अहम् भूमिका निभाएगा। अतः आने वाली पीढ़ी को इसका सही इस्तेमाल सिखाना अति आवश्यक है अन्यथा यह बच्चों के हाथ में धारदार तलवार साबित होगा।

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