मन के हारे हार है, मन के जीते जीत पर निबंध

मन के हारे हार है, मन के जीते जीत

संकेत बिन्दु :- भूमिका, असफलताएँ: जीवन का अभिन्न हिस्सा, कतिपय प्रसिद्ध उदाहरण, मन को हीन भावना से बचाना आवश्यक, उपसंहार ।

भूमिका :- चिन्तन करना मनुष्य की पहचान है। इस चिन्तन का सम्बन्ध मनन से है, जो मन की शक्ति के रूप में निहित होता है। मन के जुड़ने से अत्यधिक असम्भव से लगने वाले कार्य भी सरलता से सम्पन्न हो जाते हैं और मन के टूटने से बड़े-बड़े संकल्प भी धराशायी हो जाते हैं। संकल्पशक्ति वह अचूक हथियार है, जिससे विशाल सशस्त्र सेना को भी आसानी से पराजित किया जा सकता है। संकल्पशक्ति इतनी शक्तिशाली एवं प्रभावपूर्ण होती है कि सामने वाला अपने सभी अस्त्र-शस्त्र लिए हुए निरुत्तर रह जाता है।

असफलताएं : जीवन का अभिन्न हिस्सा :- असफलताएँ जीवन प्रक्रिया का एक स्वाभाविक अंग होती हैं। दुनिया का कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं हो। सकता, जिसने असफलता का स्वाद न चखा हो, लेकिन महान् सिर्फ वही व्यक्ति बनते हैं, जो अपनी असफलताओं को सफलता प्राप्त करने की प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा बना लेते हैं।

असफलताओं से घबराए बिना वे तब तक अपनी लक्ष्य प्राप्ति के लिए ईमानदारीपूर्वक प्रयत्न करते रहते हैं, जब तक वास्तव में सफलता मिल नहीं जाती। वे कभी भी मन से हार नहीं मानते। इसी का नतीजा एक दिन उनकी सफलता के रूप में सामने आता है। ऐसे व्यक्ति ही महान् कार्यों को सम्पादित करते हैं और विश्वप्रसिद्ध होते हैं। दूसरी ओर अधिकांश व्यक्ति अपनी असफलताओं घबराकर निराश हो जाते हैं। उन्हें अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं रहता और वे मन से हार को स्वीकार कर लेते हैं।

कतिपय प्रसिद्ध उदाहरण :- हमारे सामने ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब मन में दृढ़ संकल्प एवं उत्साह रखने वाले व्यक्तियों ने दुनिया में ऐसे असम्भव कार्यों को भी सम्भव कर दिया है, जो कल्पनाओं से भी परे हैं। चाहे वह सावित्री द्वारा अपने पति सत्यवान का जीवन यमराज से लौटाना हो या फिर नचिकेता द्वारा मृत्यु को पराजित कर इच्छानुसार वरदान प्राप्त करना चाहे महाराणा प्रताप द्वारा महान् मुगल शासक अकबर से टक्कर लेना हो या फिर शिवाजी द्वारा शक्तिशाली औरंगजेब के दाँत खद्दे करना । शारीरिक रूप से अत्यधिक कमज़ोर गांधीजी द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिलाना हो या फिर परमाणु बम से तबाह जापान द्वारा विश्व के अग्रणी शक्ति सम्पन्न देशों की श्रेणी में शामिल हो जाना।

मन को हीन भावना से बचाना :- आवश्यक मन अनन्त शक्ति का स्रोत है, उसे हीन भावना से बचाए रखना अत्यन्त आवश्यक है। मन की अपरिमित शक्ति को भूले बिना अपनी क्षमताओं में विश्वास रखना ही सफलता की मूल कुंजी है। यह सच है कि जीवन में अनेक अवसर ऐसे आते हैं, जब परिणाम हमारी आशानुकूल नहीं मिलते। कई बार हमें असफलताएँ भी प्राप्त होती हैं, लेकिन उन असफलताओं से घबराकर हमें निराश नहीं होना चाहिए। अपने मन को छोटा नहीं करना चाहिए। जब एक बार हम मन से स्वयं को पराजित मान लेते हैं, तो कहानी यहीं पर समाप्त हो जाती है। इसलिए कहा जाता है कि मन का हारना ही वास्तविक हार है।

उपसंहार :- अपनी क्षमताओं में विश्वास का अभाव व्यक्ति को मानसिक रूप से अशक्त बना देता है और मानसिक दुर्बलता सर्वशक्ति सम्पन्नता के बावजूद व्यक्ति को असफलता की राह पर धकेल देती है। इसलिए मन को सुदृढ़ बनाना एवं उसे सफलता प्राप्ति के प्रति आश्वस्त बनाए रखना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आवश्यक है।

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