विज्ञान : अभिशाप या वरदान|विज्ञान के बढ़ते चरण पर निबंध
विज्ञान : अभिशाप या वरदान|विज्ञान के बढ़ते चरण पर निबंध

संकेत बिन्दु :-1.वरदान के रूप में विज्ञान, 2.विज्ञान के विषय में भ्रान्ति, 3.मानवीय व्यस्तता, 4.विज्ञान का दुरुपयोग, 5.उपसंहार ।

1.वरदान के रूप में :- विज्ञान हम अपने आस-पास मानव निर्मित जिन चीज़ों को देखते हैं, उनमें से अधिकाधिक चीज़े विज्ञान के बल पर ही आकार पाने में सफल हो पाई है। विज्ञान ने मानव जीवन को सुखद व सुगम बना दिया है। पहले लम्बी दूरी की यात्रा करना मनुष्य के लिए अत्यन्त कष्टदायी होता था। अब विज्ञान ने मनुष्य की हर प्रकार की यात्रा को सुखमय बना दिया है। 

सड़कों पर दौड़ती मोटरगाड़ियाँ एवं रेलवे स्टेशनों व एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़ इसके प्रमाण हैं। पहले मनुष्य के पास मनोरंजन के लिए विशेष साधन उपलब्ध नहीं थे। अब उसके पास मनोरंजन के हर प्रकार के साधन उपलब्ध हैं। रेडियो, टेपरिकॉर्डर से आगे बढ़कर अब एल.सी.डी., वी.सी.डी., डी.वी.डी. एवं डी.टी.एच. का ज़माना आ गया है। यही नहीं मनुष्य विज्ञान की सहायता से शारीरिक कमजोरियों एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से पार पाने में अब पहले से कहीं अधिक सक्षम हो गया है और यह सब सम्भव हुआ चिकित्सा क्षेत्र में आई वैज्ञानिक प्रगति से।

अब ऐसी असाध्य बीमारियों का इलाज भी सम्भव है, जिन्हें पहले लाइलाज समझा जाता था। अब टीबी सहित कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को प्रारम्भिक स्तर पर ही खत्म करना सम्भव हुआ है। आज हर हाथ में मोबाइल का दिखना भी विज्ञान के वरदान होने का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

2.विज्ञान के विषय में भ्रान्ति :- कुछ लोग कहते हैं कि विज्ञान ने आदमी को मशीन बना दिया है, किन्तु यह कहना उचित नहीं है। मशीनों का आविष्कार मनुष्य ने अपनी सुख-सुविधा के लिए किया है। यदि मशीने नहीं होतीं, तो मनुष्य इतनी तेज़ी से प्रगति नहीं कर पाता एवं उसका जीवन तमाम तरह के झंझावातों के बीच ही गुम होकर रह जाता। मशीनों से मनुष्य को अनेकानेक लाभ हुए हैं।

यदि आज उसे भौतिक सुख-सुविधाएँ प्राप्त हो रही हैं, तो उसमें मशीनों का योगदान प्रमुख है। मशीनों को कार्यान्वित करने के लिए मनुष्य को उन्हें परिचालित करना पड़ता है। इस कार्य में उसे अधिक परिश्रम करना नहीं पड़ता। यदि कोई व्यक्ति मशीन के बिना कार्य करे तो उसे अधिक परिश्रम करने की आवश्यकता पड़ेगी। इस दृष्टि से देखा जाए तो मशीनों के कारणमनुष्य का जीवन यन्त्रवत् नहीं हुआ है, बल्कि उसके लिए हर प्रकार का कार्य करना सरल हो गया है।

यह विज्ञान का ही वरदान है कि अब डेबिट-क्रेडिट कार्ड के रूप में लोगों के पर्स में प्लास्टिक मनी आ गई है एवं वे जब भी चाहें, जहाँ भी चाहें रुपये निकाल सकते हैं। रुपये निकालने के लिए अब बैंकों में घण्टों लाइन में लगने की जरूरत ही नहीं।

3.मानवीय व्यस्तता :- यद्यपि मशीन का आविष्कार मनुष्य ने अपने कार्यों को आसान करने के लिए किया था, किन्तु कोई भी मशीन मनुष्य के बिना अधूरी है। जैसे-जैसे मनुष्य वैज्ञानिक प्रगति करता जा रहा है, उसकी मशीनों पर निर्भरता भी बढ़ती जा रही है। फलत: मशीनों को चलाने के लिए उसे यन्त्रवत् उसके साथ व्यस्त रहना पड़ता आधुनिक मनुष्य भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राथमिकता देता है, इसके लिए वह दिन-रात परिश्रम करता है। वह चाहता है कि उसके पास गाड़ी, बंगला तथा सुख-सुविधाओं की अन्य सभी चीजें हों। इसके लिए वह अपने सुख-चैन को भी त्याग देता है और उसे बस एक ही धुन रहती है-काम, काम और सिर्फ़ काम। इस काम के चक्कर में उसने अपनी जीवन-शैली अत्यन्त व्यस्त बना ली है। खासकर शहर के लोगों में यह प्रवृत्ति आम दिखती है। मनुष्य ने अपने लिए रॉबोट का भी आविष्कार कर लिया, फिर भी उसकी आवश्यकता कम नहीं हुई है। वह दिन-रात अन्तरिक्ष के रहस्यों को जानने के लिए परिश्रम कर रहा है।

4.विज्ञान का दुरुपयोग :- दुनिया की किसी भी चीज़ का दुरुपयोग बुरा होता है। विज्ञान के मामलों में भी ऐसा ही है। विज्ञान का यदि दुरुपयोग किया जाए, तो इसका परिणाम भी बुरा ही होगा। इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो विज्ञान का सहयोग मनुष्य के लिए एक अभिशाप के रूप में सामने आया है। विज्ञान की सहायता से मानव ने घातक हथियारों का आविष्कार किया। ये हथियार पूरी मानव सभ्यता का विनाश करने में सक्षम हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय परमाणु बमों के प्रयोग से मानव को जो क्षति हुई, उसकी पूर्ति असम्भव है। विज्ञान की सहायता से मनुष्य ने मशीनों का आविष्कार अपने सुख-चैन के लिए किया, किन्तु अफ़सोस की बात यह है कि मशीनों के साथ-साथ वह भी मशीन होता जा रहा है एवं उसकी जीवन-शैली भी अत्यन्त व्यस्त हो गई है।

मशीनों के आविष्कार के बाद से छोटे-छोटे एवं सामान्य कार्यों के लिए भी मनुष्य की उन पर निर्भरता बढ़ी है परिणामस्वरूप जो कार्य पहले मानव द्वारा किए जाते थे, वे अब मशीनों से पूर्ण किए जाते हैं। यही कारण है किबेरोज़गारी में वृद्धि हुई है। मशीनों के प्रयोग एवं पर्यावरण के दोहन के कारण पर्यावरण सन्तुलन बिगड़ गया है तथा प्रदूषण के कारण मनुष् के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। यही नहीं, विज्ञान की सहायता से प्रगति के लिए मनुष्य ने पृथ्वी पर मौजूद संसाधनों का व्यापक रूप से दोहन किया है, जिसके कारण उसके लिए ऊर्जा-संकट की स्थिति उत्पन्न गई है।

5.उपसंहार :- बड़े पैमाने पर किए जा रहे दुरुपयोग के कारण आज विज्ञान मनुष्य के लिए विध्वंसक अवश्य लगने लगा, किन्तु इसमें कोई सन्देह नहीं कि इसके कारण ही मनुष्य का जीवन सुखमय हो सका है और आज हम जो प्रगति एवं विकास की बहार देख रहे हैं, वह सब विज्ञान के बल पर ही सम्भव हुआ है। इस तरह विज्ञान मानव के लिए सृजनात्मक ही साबित हुआ है। विज्ञान के दुरुपयोग के लिए विज्ञान को नहीं, बल्कि मनुष्य को दोषी ठहराया जाना चाहिए। विज्ञान कभी नहीं कहता कि उसका दुरुपयोग किया जाए। इस तरह आज तक विज्ञान की सहायता से तैयार हथियारों के दुरुपयोग के लिए विज्ञान को विध्वंसात्मक कहना विज्ञान के साथ अन्याय करने के समान है। विज्ञान को अभिशाप बनाने के लिए मनुष्य स्वयं दोषी है। अन्ततः देखा जाए तो विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान है।

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