संचार माध्यम और आधुनिक मनुष्य | आधुनिक युग में जनसंचार की उपयोगिता
संकेत बिन्दु :-1.भूमिका, 2.जनसंचार के माध्यम समाचार-पत्र, 3.रेडियो, 4.टेलीविजन, 5.फिल्म, 6.कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट, 7.उपसंहार
1.भूमिका :- अपने विचारों, भावनाओं व सूचनाओं को सम्प्रेषित करने के लिए मनुष्य को संचार की आवश्यकता पड़ती है। संचार मौखिक एवं लिखित दोनों रूपों में हो सकता है। पहले मनुष्य आपस में बोलकर या इशारे से अपने भावों व विचारों की अभिव्यक्ति करता था। वैज्ञानिक प्रगति ने उसे संचार के अन्य साधन भी उपलब्ध करवाए। अब मनुष्य दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर पर मौजूद व्यक्ति से वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से बात करने में सक्षम है।
टेलीफोन, रेडियो, समाचार पत्र, टेलीविजन इत्यादि वैज्ञानिक उपकरणों को ही संचार के साधन कहा जाता है। टेलीफोन ऐसा माध्यम है, जिसकी सहायता से एक बार में कुछ ही व्यक्तियों से बात की जा सकती है, किन्तु संचार के कुछ साधन ऐसे भी हैं, जिनकी सहायता से एक साथ कई व्यक्तियों से संवाद स्थापित किया जा सकता है। जिन साधनों का प्रयोग कर एक बड़ी जनसंख्या तक विचारों, भावनाओं व सूचनाओं को सम्प्रेषित किया जाता है, उन्हें हम जनसंचार माध्यम कहते हैं।
2.जनसंचार के माध्यम :- जनसंचार माध्यमों को कुल तीन वर्गों-मुद्रण माध्यम, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम एवं नव-इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में विभाजित किया जा सकता है। मुद्रण माध्यम के अन्तर्गत समाचर-पत्र, पत्रिकाएँ, पैम्पलेट, पोस्टर, जर्नल, पुस्तकें इत्यादि आती हैं। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के अन्तर्गत रेडियो, टेलीविजन एवं फिल्म आती हैं और इण्टरनेट नव-इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है। जनसंचार के निम्न साधनों के बारे में आइए विस्तार से जानते हैं
3.समाचार-पत्र :- मुद्रण माध्यम की शुरूआत गुटनबर्ग द्वारा वर्ष 1440 में मुद्रण मशीन के आविष्कार के साथ हुई थी। इसके बाद विश्व के अनेक देशों में समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। आज समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ विश्वभर में जनसंचार का एक प्रमुख एवं लोकप्रिय माध्यम बन चुके हैं।
समाचार पत्र कई प्रकार के होते हैं—त्रैमासिक, मासिक, साप्ताहिक एवं दैनिक। इस समय विश्व के अनेक देशों के साथ-साथ भारत में भी दैनिक समाचार पत्रों की संख्या अन्य प्रकार के पत्रों से अधिक है। भारत में अंग्रेजी भाषा के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र 'द टाइम्स ऑफ इण्डिया', 'द हिन्दू', 'हिन्दुस्तान टाइम्स' इत्यादि हैं। हिन्दी के दैनिक समाचार-पत्रों में 'दैनिक जागरण', 'दैनिक भास्कर', 'हिन्दुस्तान', 'नवभारत टाइम्स', 'नई दुनिया', 'जनसत्ता' इत्यादि प्रमुख हैं।
4.रेडियो :- आधुनिक काल में रेडियो जनसंचार का एक प्रमुख साधन है, खासकर दूरदराज के उन क्षेत्रों में जहाँ अभी तक बिजली नहीं पहुँच पाई है। या जिन क्षेत्रों के लोग आर्थिक रूप से पिछड़े हैं। भारत में इसकी शुरूआत 1990 ई. के दशक में हुई थी। स्थानीय स्तर पर एफ. एम. प्रसारण के लाभ को देखते हुए देश के कई विश्वविद्यालयों ने इसके माध्यम से अपने शैक्षिक सारण के उद्देश्य से अपने-अपने एफ. एम. प्रसारण चैनलों की शुरूआत की है।
यही कारण है कि इससे न केवल आम जनता को लाभ पहुँचा है, बल्कि दूरस्थ एवं खुले विश्वविद्यालयों से शिक्षा ग्रहण कर रहे लोगों के लिए भी यह अति लाभप्रद सिद्ध हुआ है। आज एफ. एम. प्रसारण दुनियाभर में रेडियो प्रसारण का पसन्दीदा माध्यम बन चुका है। इसका एक कारण इससे उच्च गुणवत्ता युक्त स्टीरियोफोनिक आवाज की प्राप्ति भी है। शुरूआत में इस प्रसारण की देशभर में कवरेज केवल 30% थी, किन्तु अब इसकी कवरेज बढ़कर 60% से अधिक तक जा पहुँची है।
5.टेलीविजन :- टेलीविजन का आविष्कार वर्ष 1925 में जे. एल. बेयर्ड ने किया था। आजकल यह जनसंचार का प्रमुख साधन बन चुका है। पहले इस पर प्रसारित होने वाले धारावाहिकों एवं सिनेमा के कारण यह लोकप्रिय था। बाद में कई न्यूज चैनलों की स्थापना के साथ ही यह जनसंचार का एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया, जिसकी पहुँच करोड़ों लोगों तक हो गई। भारत में इसकी शुरूआत वर्ष 1959 में हुई थी। वर्तमान में तीन सौ से अधिक टेलीविजन चैनल चौबीसों घण्टे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित कर दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं।
6.फिल्म :- यह जनसंचार का एक सशक्त एवं लोकप्रिय माध्यम है। किसी भी अन्य माध्यम की अपेक्षा यह जनता को अधिक प्रभावित करने में सक्षम है। दादा साहेब फाल्के को भारतीय फिल्मों का पितामह कहा जाता हर वर्ष विश्व में लगभग दस हजार से अधिक फिल्मों का निर्माण होता है। अकेले भारत में हर वर्ष एक हजार से अधिक फिल्मों का निर्माण होता है। फिल्मों में समाज एवं देश का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया जाता है। फिल्मों का उद्देश्य केवल मनोरंजन ही नहीं होता, बल्कि देश हित एवं समाज सुधार भी होता है।
7.कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट :- इण्टरनेट जनसंचार का एक नवीन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम है। इसका आविष्कार वर्ष 1969 में हुआ था। इसके बाद से अब तक इसमें काफी विकास हो चुका है। इण्टरनेट वह जिन्न है, जो व्यक्ति के सभी आदेशों का पालन करने को तैयार रहता है। विदेश जाने के लिए हवाई जहाज का टिकट बुक कराना हो, किसी पर्यटन स्थल पर स्थित होटल का कोई कमरा बुक कराना हो, किसी किताब का ऑर्डर देना हो, अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए विज्ञापन देना हो, अपने मित्रों से ऑनलाइन चैटिंग करनी हो, डॉक्टरों से स्वास्थ्य सम्बन्धी सलाह लेनी हो या वकीलों से कानूनी सलाह लेनी हो, इण्टरनेट हर मर्ज की दवा है। इण्टरनेट ने सरकार, व्यापार और शिक्षा को भी नए अवसर दिए हैं। सरकार अपने प्रशासनिक कार्यों के संचालन, विभिन्न कर प्रणाली, प्रबन्ध और सूचनाओं के प्रसारण जैसे अनेकानेक कार्यों के लिए इण्टरनेट का उपयोग करती हैं।
8.उपसंहार :- इन माध्यमों से लोगों को देश की हर गतिविधि की जानकारी तो मिलती है, साथ ही उनका मनोरंजन भी होता है। किसी भी देश में जनता का मार्गदर्शन करने के लिए निष्पक्ष एवं निर्भीक जनसंचार माध्यमों का होना आवश्यक है। ये देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों की सही तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। इसे हम मीडिया भी कहते हैं। जनता की समस्याओं को इन माध्यमों से जन-जन तक पहुँचाया जाता है। विभिन्न प्रकार के अपराधों एवं घोटालों का पर्दाफाश कर ये देश एवं समाज का भला करते हैं। इस तरह ये आधुनिक समाज में लोकतन्त्र के प्रहरी का ये रूप ले चुके हैं। इसलिए इन्हें लोकतन्त्र के चतुर्थ स्तम्भ की भूमिका दी गई है।
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