नागार्जुन का जीवन परिचय |Nagarjuna Ka Jivan Prarichay
परिचय (1911 से 1998 ई.)
प्रगतिवादी कवि नागार्जुन का जन्म सन् 1911 ई. में बिहार के दरभंगा जिले के सतलखा ग्राम में हुआ था। इनका वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था। पहले ये यात्री उपनाम से लिखा करते थे। बाद में बौद्ध धर्म ग्रहण करने के पश्चात् इन्होंने अपना नाम महात्मा बुद्ध के प्रसिद्ध शिष्य के नाम पर नागार्जुन रख लिया। नागार्जुन का आरम्भिक जीवन अभावों और संघर्षों से जूझते हुए बीता। इसी अभाव ने इनमें शोषण के प्रति विद्रोह की भावना को भर दिया, लेकिन इसी अभाव और अपने जीवन में घटित दुःखद घटनाओं के कारण ही ये मानव समुदाय के दुःख को पहचान सके । इनकी प्रारम्भिक शिक्षा संस्कृत पाठशाला में हुई। तत्पश्चात् इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में व्याकरण का अध्ययन किया। स्वाध्याय से ही इन्होंने अनेक भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया। इसके बाद संस्कृत भाषा में शास्त्राचार्य तक का अध्ययन कलकत्ता (कोलकाता) में जाकर किया। स्वभाव से ये भ्रमणशील प्रकृति के थे।
नागार्जुन ने विवाह के कुछ वर्ष पश्चात् ही गृहस्थ जीवन को त्याग दिया और श्रीलंका चले गए। वहाँ वे संस्कृत के आचार्य बन गए। श्रीलंका प्रवास के समय ही इन्होंने पालि भाषा और बौद्ध धर्म का गहन अध्ययन किया। सन् 1941 ई. नागार्जुन भारत लौट आए। कवि नागार्जुन को अपनी विद्रोही प्रवृत्ति के कारण स्वतन्त्र भारत में भी कई बार जेल जाना पड़ा। दलितों और शोषितों के पक्षधर नागार्जुन हिन्दी साहित्य जगत् में 'बाबा' के नाम से जाने जाते थे। इस महान् विभूति का 87 वर्ष की आयु में सन् 1998 को दरभंगा के लहरिया सराय नामक स्थान पर निधन हो गया।
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