जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय | Jai Shankar Prasad Ka Jivan Prarichay
जीवन परिचय (1889 से 1937 ई.)
छायावाद के प्रवर्तक एवं श्रेष्ठ छायावादी कवि श्री जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 . में काशी के एक सम्पन्न वैश्य परिवार में हुआ था। इनके पिता देवी प्रसाद तम्बाकू के प्रसिद्ध व्यापारी थे। बाल्यावस्था में ही इनके पिता और बड़े भाई का आकस्मिक निधन होने से परिवार का दायित्व इनके कन्धों पर आ गया। इन्हें आठवीं के बाद स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी। इन्होंने घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी, उर्दू, बांग्ला भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। संस्कृत साहित्य के प्रति इनका विशेष लगाव था। इन्होंने वेद, उपनिषद्, इतिहास और दर्शन का गहन अध्ययन किया। इनका जीवन बहुत सरल था। सभा-सम्मेलनों से ये दूर ही रहा करते थे।
बाल्यकाल से ही इनकी कविता के प्रति रुचि जाग्रत हो गई थी। इन्हें कवियों का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। पहले ये ब्रज भाषा में कविताएँ लिखते थे, किन्तु बाद में इन्होंने खड़ी बोली में कविताएँ लिखनी शुरू कीं। अपना पैतृक कार्य करते-करते भी इनका मन कविता में रमा रहता और अवसर मिलते ही ये अपने भावों की अनुभूतियों को दुकान के बहीखाते के पन्नों पर उतार दिया करते थे। प्रसाद जी बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न तथा शिव के उपासक थे।
अपने जीवन संघर्षो, आत्मीयजनों से बिछड़ना, अर्थाभाव तथा पत्नी वियोग आदि कष्टपूर्ण जीवन को झेलते हुए भी हिन्दी काव्य जगत् को इन्होंने काव्यरूपी बहुमूल्य रत्न दिए हैं। अत्यधिक श्रम और क्षय रोग (टी.बी.) से पीड़ित रहने के कारण सन् 1937 ई. को मात्र 48 वर्ष की अल्पायु में ही इनका निधन हो गया।
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