इण्टरनेट : अभिशाप या वरदान|इण्टरनेट की दुनिया|इण्टरनेट-सूचना प्रौद्योगिकी में क्रान्ति|इण्टरनेट से लाभ और हानि 

इण्टरनेट : अभिशाप या वरदान | इण्टरनेट से लाभ और हानि | Advantages and disadvantages of internet

संकेत बिन्दु :- 1.भूमिका, 2.इण्टरनेट का अंग, 3.इण्टरनेट का प्रसार, 4.इण्टरनेट की उपयोगिता, 5.इण्टरनेट की हानि, 6.उपसंहार।

1.भूमिका :- आज के युग में इण्टरनेट की दुनिया ने लोगों को इतना अधिक ने प्रभावित कर दिया है कि लोग ज्ञान प्राप्ति के अतिरिक्त खेलने, पढ़ने, संगीत सुनने, चित्रकारी करने तथा अपने अनेक अन्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इण्टरनेट का सहारा लेते हैं। यह विज्ञान का एक चमत्कार लगता है, जिसने संचार में गति एवं विविधता लाकर पूरी दुनिया को परिवर्तित कर दिया है। 

2.इण्टरनेट का अंग :- सूचना एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों को साझा करने के लिए विभिन्न संचार माध्यमों से आपस में जुड़े कम्प्यूटरों एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का समूह, कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता है और इन्हीं कम्प्यूटर नेटवर्कों का विश्वस्तरीय नेटवर्क इण्टरनेट है।

3.इण्टरनेट का प्रसार :- शीतयुद्ध के दौरान वर्ष 1969 में अमेरिका के प्रतिरक्षा के में विभाग ने युद्ध की स्थिति में अमेरिकी सूचना संसाधनों के संरक्षण एवं आपस सूचना को साझा करने के उद्देश्य से पहली बार कुछ कम्प्यूटरों के एक नेटवर्क अरपानेट (ARPANET) की स्थापना की। इसी संकल्पना के आधार पर अन्य कम्प्यूटर नेटवर्कों का निर्माण हुआ, जो आगे चलकर विश्वस्तरीय नेटवर्क इण्टरनेट के रूप में तब्दील हो गया। इसमें विश्वभर के कम्प्यूटर नेटवर्क एक मानक प्रोटोकॉल के माध्यम से जुड़े होते हैं। 

दुनिया के किसी भी व्यक्ति को इण्टरनेट के स्वामी की संज्ञा नहीं दी जा सकती। इसका कोई मुख्यालय अथवा केन्द्रीय प्रबन्ध नहीं है। कोई भी व्यक्ति जिसके पास किसी इण्टरनेट सेवा प्रदाता कम्पनी की इण्टरनेट सुविधा है, अपने कम्प्यूटर के माध्यम से इससे जुड़ सकता है। आज विश्व के कुल 6.8 अरब से अधिक लोगों में से लगभग 2 अरब लोग इण्टरनेट से जुड़े हुए है। अमेरिका में इण्टरनेट से जुड़े लोगों की संख्या सर्वाधिक है, जो पूरे विश्व की लगभग 20% है। भारत में ऐसे लोगों की संख्या 6 करोड़ से अधिक है। पूरे विश्व में इण्टरनेट से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। 

पहले सभी प्रकार की सूचनाओं को साझा करना सम्भव नहीं था, लेकिन अब इण्टरनेट के माध्यम से न केवल सूचनाओं, बल्कि वीडियो का भी आदान-प्रदान किया जा सकता है। इससे प्राप्त होने वाले लाभों के तहत यात्रा का टिकट बुक कराने से लेकर किताब का ऑर्डर देने, अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विज्ञापन देने, अपने मित्रों से ऑनलाइन चैटिंग करने, हर एक प्रकार का परामर्श लेना आदि तक शामिल हैं।

4.इण्टरनेट की उपयोगिता :- भारत में इण्टरनेट सेवा की शुरूआत बीएसएनएल ने वर्ष 1995 में की थी। अब एयरटेल, रिलायंस, टाटा इंडीकॉम, वोडाफोन जैसी दूरसंचार कम्पनियाँ भी इण्टरनेट सेवा उपलब्ध कराती हैं। पहले ई-मेल के माध्यम से दस्तावेज़ों एवं छवियों का आदान-प्रदान ही किया जाता था, अब ऑनलाइन बातचीत का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है और चैटिंग के माध्यम से हम किसी भी मुद्दे पर बहस कर सकते हैं। 

इण्टरनेट के माध्यम से मीडिया हाउस ध्वनि और दृश्य दोनों माध्यमों के द्वारा ताज़ातरीन ख़बरें और मौसम सम्बन्धी जानकारियाँ हम तक आसानी से पहुँचा रही हैं। नेता हो या अभिनेता, विद्यार्थी हो या शिक्षक, पाठक हो या लेखक, वैज्ञानिक हो या चितक सबके लिए इण्टरनेट समान रूप से उपयोगी साबित हो रहा है। अब इसके माध्यम से न सिर्फ उच्च शिक्षा हासिल की जा सकती है, बल्कि रोज़गार की प्राप्ति में भी यह सहायक साबित होता है। विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण एवं जनमत संग्रह इण्टरनेट के द्वारा भली-भाँति किए जा सकते हैं।

5.इण्टरनेट की हानि :- इण्टरनेट के कई लाभ हैं, तो इसकी कई खामियाँ भी हैं। इसके माध्यम से अश्लील दृश्यों तक बच्चों की पहुँच आसान हो गई है। कई लोग इण्टरनेट का दुरुपयोग अश्लील साइटों को देखने और सूचनाओं को चुराने में करते हैं। इससे साइबर अपराधों में वृद्धि हुई इण्टरनेट से जुड़ते समय वायरसों द्वारा सुरक्षित फाइलों के नष्ट या संक्रमित होने का खतरा भी बना रहता है। इन वायरसों से बचने के लिए एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का प्रयोग आवश्यक होता है। 

इन सबके अतिरिक्त बहुत से लोग इस पर अनावश्यक और गलत आँकड़े एवं तथ्य भी प्रकाशित करते रहते हैं। अतः इस पर उपलब्ध सभी आँकड़ों एवं तथ्यों को हमेशा प्रामाणिक नहीं माना जा सकता। इसके इस्तेमाल के वक्त हमें काफ़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत पड़ती है।

6.उपसंहार :- इस प्रकार, इण्टरनेट यदि ज्ञान का सागर है, तो इसमें कूड़े-कचरे की भी कमी नहीं है। यदि इसका सही प्रयोग हो तो हमारी तीव्र गति से प्रगति होगी और यदि इसका गलत प्रयोग किया जाए, तो कूड़े-कचरे के अलावा हमें कुछ भी नहीं मिलेगा। अतः आने वाली पीढ़ी को इसका सही उपयोग सिखाना आवश्यक है, अन्यथा बच्चों या कम आयु के युवा वर्ग के लिए यह दोधारी तलवार साबित हो सकता है।

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