हजारीप्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय
संक्षिप्त परिच
नाम - हजारीप्रसाद द्विवेदी
जन्म - सन् 1907
जन्म स्थान - दुबे का छपरा ग्राम (जिला - बलिया)
पिता का नाम - श्री अनमोल दुबे
माता का नाम - श्रीमती ज्योतिकली देवी
शिक्षा - काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से आचार्य की उपाधि
आजीविका - अध्यापन, लेखन
पुरस्कार/सम्मान - पद्मभूषण एवं डी.लिट्
लेखन-विधा - निबन्ध, आलोचना, उपन्यास,अनुवाद
भाषा - संस्कृतनिष्ठ, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी शब्दों से युक्त, सरल सहज, मुहावरेदार और बोधगम्य
निधन - सन् 1979
साहित्य मे स्थान - आधुनिक गद्य-साहित्य में इनका मूर्धन्य है। इन्होंने हिन्दी - समीक्षा को नई, उदार एवं वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान की।
जीवन परिचय
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म बलिया जिले के दुबे का छपरा नामक ग्राम में सन् 1907 में हुआ। इनके पिता का नाम श्री अनमोल दुबे और माता का नाम श्रीमती ज्योतिकली देवी था। इण्टर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद द्विवेदी जी ने 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' से ज्योतिष तथा साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। इन्होंने हिन्दी व संस्कृत भाषाओं का भी अध्ययन किया तथा उसके पश्चात् शान्तिनिकेतन के हिन्दी विभाग में अध्यापन का कार्य किया। वहाँ रहकर ये रवीन्द्रनाथ टैगोर और क्षितिमोहन सेन के सम्पर्क में आए तथा उनके सम्पर्क में रहकर इनकी साहित्यिक प्रतिभा का उत्तरोत्तर विकास होता गया।
बीस वर्षों के अध्यापन के पश्चात् 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष बनकर लौट आए। वे 'शान्ति निकेतन', 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' तथा 'पंजाब विश्वविद्यालय के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत रहे। इनकी साहित्य-सेवा के लिए 'लखनऊ विश्वविद्यालय' ने डी. लिट्. तथा भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' की उपाधि से इन्हें अलंकृत किया। 19 मई, 1979 को अस्वस्थता के चलते लम्बी बीमारी के बाद इनका निधन हो गया।
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