व्यायाम और स्वास्थ्य पर निबंध - Essay on Exercise and Health
रूपरेखा-(1) प्रस्तावना, (2) व्यायाम की आवश्यकता, (3) व्यायाम से लाभ, (4) व्यायाम के विविध रूप, (5) व्यायाम की उपेक्षा के कारण, (6) उपसंहार।
(1) प्रस्तावना-प्रकृति की ओर से मनुष्य को अनमोल जीवन भेंट-स्वरूप प्राप्त हुए हैं। जीवन को सुखी बनाने की पहली शर्त है 'निरोगी काया' कहा भी गया है
पहला सुख निरोगी काया,
दूसरा सुख धन और माया॥
अर्थात् स्वस्थ शरीर ही सभी सुखों का मूल आधार है। शरीर की स्वस्थता के लिए अच्छा व स्वच्छ भोजन तथा वायु जितने आवश्यक हैं, उतना ही आवश्यक है- व्यायाम। व्यायाम से तात्पर्य उन शारीरिक क्रियाओं से है जो शरीर को गतिशील, सक्रिय व स्फूर्तिदायक बनाती हैं इसके अन्तर्गत तेज चलना, दौड़ना, खेलना, कूदना, साइकिल चलाना, तैराकी करना व योगासन आदि प्रमुख रूप से आते हैं।
(2) व्यायाम की आवश्यकता -व्यायाम की आवश्यकता बालक,युवक, वृद्ध सभी को है, जहाँ अबोध शिशु अपने हाथ-पैर हिलाकर ही अपना व्यायाम कर लेता है, वहीं कभी-कभी बड़े व्यायाम की क्रियाएँ आलस्यवश नहीं करते। यह बात उनके स्वास्थ्य के प्रतिकूल सिद्ध होती है। व्यायाम तो दैनिक क्रियाओं की भाँति अनिवार्य रूप से करना चाहिए। प्रायः लोग स्वास्थ्य की आशा में डॉक्टरों के पास दौड़े जाते हैं, किन्तु यदि वे ध्यान दें तो उनके अधिकांश रोग उनके व्यायाम न करने के कारण ही उत्पन्न होते हैं।
(3) व्यायाम से लाभ-नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर के सभी अवयव सुचारू रूप से कार्य करने लगते हैं शरीर में रक्त का संचालन भली-भांति होता है। मन में उत्साह व तन में शक्ति का संचार होता है। शरीर के प्रत्येक कोश में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुँचने लगती है। व्यक्ति का मन कार्य में लगता है। अच्छी भूख लगने से भोजन करने में भी आनन्द आता है। वृद्धावस्था शीघ्र नहीं आती एवं व्यक्ति जीवन के उतार-चढ़ाव का सामना सफलतापूर्वक करने के योग्य हो जाता है।
(4) व्यायाम के विविध रूप-प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि के अनुरूप व्यायाम कर सकता है, जैसे- अधेड़ व वृद्ध व्यक्तियों के लिए टहलना व तेज चलना उपयुक्त व्यायाम होगा, तो युवा व्यक्तियों के लिए विविध खेल एवं दौड़ आदि लगाना। आजकल युवाओं में 'जिम' जाने का प्रचलन बढ़ा है, किन्तु इसके पीछे उनका उद्देश्य आकर्षक शरीर पाना है। यहाँ वे विविध उपकरणों की सहायता से व्यायाम करते हैं। जिम चलाने वाली संस्थाओं का उद्देश्य व्यावसायिक अधिक होता है, अत: इन क्रियाओं को सावधानीपूर्वक किया जाना बहुत जरूरी है, अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि होने की अधिक संभावना बनी रहती है।
(5) व्यायाम की उपेक्षा के कारण- व्यायाम की असंख्य उपयोगिताओं को जानते हुए भी प्राय: लोग व्यायाम नहीं करते। इसका मुख्य कारण व्यक्तियों में आती जा रही आलस्य की भावना है। आज दैनिक जीवन में विज्ञान ने इतने सुविधाजनक साधन उपलब्ध करा दिए हैं कि व्यक्ति शारीरिक क्रियाएँ करना ही छोड़ बैठा है। यात्रा के लिए शानदार सवारियाँ, घरेलू कार्य के लिए बिजली के उपकरण, मन बहलाने के लिए टी०वी०, रेडियो पर धुआँदार प्रसारण, अब थोड़ा-सा भी परिश्रम किए बिना सभी कार्य होते दिखाई देते हैं। अतः मनुष्य व्यायाम करने को भी एक कष्टपूर्ण कार्य मानने लगा है।
(6) उपसंहार -यह सच है कि विज्ञान ने इस युग में सुख-सुविधाओं के अंबार दिए हैं, किन्तु प्रकृति के अपने ही नियम हैं। प्रकृति स्वास्थ्य का अनमोल उपहार केवल उसी को देती है, जो उसके नियमों का पालन करता है। प्रकृति का नियम है कि जो व्यायाम करेगा, केवल वही स्वस्थ शरीर का सुख पा सकेगा। अतः हमें प्रारंभ से ही नियमित व्यायाम करने की आदत बना लेनी चाहिए। स्कूली शिक्षा में भी इसका समावेश किया गया है। अब बच्चों के खेल-कूद की व्यवस्था लगभग प्रत्येक स्कूल में की जाती है। इसके पीछे भी व्यायाम करवाने का ही उद्देश्य निहित है।
Post a Comment